गर्भावस्था के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं, यह हमेशा चिंता का विषय है। लेकिन गर्भवती महिलाएं अगर इन पांच सफेद भोजन पर नियंत्रण रखें तो उनकी व शिशु
शक्कर शरीर में ऊर्जा के लिए जरूरी है लेकिन अधिक शक्कर का सेवन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाता है जो मां के लिए डायबिटीज और शिशु के लिए चेहरे से जुड़ी समस्याओं और न्यूरल ट्यूब में दिक्कत का कारण हो सकता है।
बहुत अधिक नमक का सेवन गर्भस्थ शिशु की किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और मां को एडीमा व प्रीक्लांपसिया जैसे रोग दे सकता है। वहीं कम सोडियम भी गर्भवस्था में नुकसानदायक है इसलिए इसका सतुंलन जरूरी है।
बिना पाश्चुराइज किए दूध में बैक्टीरिया की संख्या अधिक होती है। ऐसे में बिना उबाले दूध पीने से जच्चा-बच्चा की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।
चावल में ग्लाइकेमिक इंडेक्स अधिक होता है मतलब यह शक्कर में तेजी से बदलता है जो शक्कर की अधिकता की तरह ही नुकसानदायक है।
मैदे का अधिक सेवन करना भी गर्ङावस्था के दौरान नुकसानदायक है। इससे वजन बढ़ता है और पाचन संबंधी समस्याओं का रिस्क बढ़ता है।
Source: http://goo.gl/0sxg5m
शक्कर शरीर में ऊर्जा के लिए जरूरी है लेकिन अधिक शक्कर का सेवन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाता है जो मां के लिए डायबिटीज और शिशु के लिए चेहरे से जुड़ी समस्याओं और न्यूरल ट्यूब में दिक्कत का कारण हो सकता है।
बहुत अधिक नमक का सेवन गर्भस्थ शिशु की किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और मां को एडीमा व प्रीक्लांपसिया जैसे रोग दे सकता है। वहीं कम सोडियम भी गर्भवस्था में नुकसानदायक है इसलिए इसका सतुंलन जरूरी है।
बिना पाश्चुराइज किए दूध में बैक्टीरिया की संख्या अधिक होती है। ऐसे में बिना उबाले दूध पीने से जच्चा-बच्चा की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।
चावल में ग्लाइकेमिक इंडेक्स अधिक होता है मतलब यह शक्कर में तेजी से बदलता है जो शक्कर की अधिकता की तरह ही नुकसानदायक है।
मैदे का अधिक सेवन करना भी गर्ङावस्था के दौरान नुकसानदायक है। इससे वजन बढ़ता है और पाचन संबंधी समस्याओं का रिस्क बढ़ता है।
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