गौतम चौबे, रायपुर। लाखों रुपए का पैकेज छोड़कर एक इंजीनियर रायपुर में चाय बेच रहा है। यहां पंडरी में सिटी सेंटर मॉल के सामने दुकान है। यहां गुमटी की तरह डिस्पोजल या गिलास में नहीं, बल्कि कुल्हड़ में चाय परोसी जाती है और बाकायदा घर जैसा स्वाद और माहौल दिया जाता है।
आपको बता दें कि यहां एक-दो नहीं, पूरे तीस प्रकार की चाय बनती है, जिसे पीने के लिए शहर के कोने-कोने से लोग आते हैं। इस नुक्कड़ चाय दुकान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां मूक बधिर युवक ही कुक और वेटर का काम भी करते हैं।
नौकरी से नहीं मिली संतुष्टि
लाखों का पैकेज छोड़ने वाले युवक प्रियंक पटेल ने भिलाई शंकरा से इंजीनियरिंग करने के बाद महेन्द्रा ब्रिटिश टेलीकॉम नोएडा में नौकरी जॉइन की। पांच साल तक दिल्ली, पुणे, बेंगलुरू में नौकरी करते हुए उसे संतुष्टि नहीं हुई। तब उसने सोचा कि ऐसा कुछ काम किया जाए, जिससे लोगों की सेवा भी हो।
अपनी इसी भावना को लेकर उसने नुक्कड़ शुरू किया और ऐसे लोगों को काम पर रखा, जो नि:शक्त हैं। इसके लिए उसे अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी। मूक बधिर के इशारों को पहले उसने खुद सीखा, फिर पूरे स्टाफ और ग्राहकों को भी सिखाया।
तीन महीने तक चाय का सर्वे
प्रियंक ने बताया कि दिसंबर 2012 से मार्च 2013 तक चाय को लेकर रायपुर में सर्वे किया। 25 प्रश्न बनाकर उसने सैकड़ों लोगों की राय ली। होटल, पार्क, मॉल, दुकान सभी जगहों पर आम से लेकर खास लोगों से मुलाकात की। और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि चाय को टपरी की छवि से बाहर निकालकर खास बनाना है। जिसके बाद पंडरी में सिटी सेंटर मॉल के सामने नुक्कड़ शुरू किया, जहां पर नि:शक्तजन भी रोजगार पा रहे हैं।
मां बाप पहले व्यवसाय के खिलाफ
थे: अपने परिवार में प्रियंक पहला शख्स है, जो व्यवसाय कर रहा है। घर के तीनों सदस्य सरकारी नौकरी पर हैं और वे बिजनेस के पक्षधर नहीं हैं। फिर भी उसने हार नहीं मानी और अपने उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ता गया। आज वह अच्छा खासा कमाने लगा है और भविष्य में चाय की नुक्कड़ को और विस्तार करने की योजना बना रहा है।
कुछ खास चाय की वेराइटी
- मसाला चाय-13 प्रकार की जड़ें मिलाई जाती हैं।
- बासुंदी -खोवे से बनती है
- हैदराबाद की ईरानी चाय-गाढ़े दूध से बनती है
- चॉकलेट टी
- सोंठ केशर चाय
- कश्मीर कहवा बादाम पिस्ता से
- रोमांटिक टी-मिल्क, स्नेक्स, गुलाब फूल के साथ रोमांच पैदा करता है।
आपको बता दें कि यहां एक-दो नहीं, पूरे तीस प्रकार की चाय बनती है, जिसे पीने के लिए शहर के कोने-कोने से लोग आते हैं। इस नुक्कड़ चाय दुकान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां मूक बधिर युवक ही कुक और वेटर का काम भी करते हैं।
नौकरी से नहीं मिली संतुष्टि
लाखों का पैकेज छोड़ने वाले युवक प्रियंक पटेल ने भिलाई शंकरा से इंजीनियरिंग करने के बाद महेन्द्रा ब्रिटिश टेलीकॉम नोएडा में नौकरी जॉइन की। पांच साल तक दिल्ली, पुणे, बेंगलुरू में नौकरी करते हुए उसे संतुष्टि नहीं हुई। तब उसने सोचा कि ऐसा कुछ काम किया जाए, जिससे लोगों की सेवा भी हो।
अपनी इसी भावना को लेकर उसने नुक्कड़ शुरू किया और ऐसे लोगों को काम पर रखा, जो नि:शक्त हैं। इसके लिए उसे अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी। मूक बधिर के इशारों को पहले उसने खुद सीखा, फिर पूरे स्टाफ और ग्राहकों को भी सिखाया।
तीन महीने तक चाय का सर्वे
प्रियंक ने बताया कि दिसंबर 2012 से मार्च 2013 तक चाय को लेकर रायपुर में सर्वे किया। 25 प्रश्न बनाकर उसने सैकड़ों लोगों की राय ली। होटल, पार्क, मॉल, दुकान सभी जगहों पर आम से लेकर खास लोगों से मुलाकात की। और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि चाय को टपरी की छवि से बाहर निकालकर खास बनाना है। जिसके बाद पंडरी में सिटी सेंटर मॉल के सामने नुक्कड़ शुरू किया, जहां पर नि:शक्तजन भी रोजगार पा रहे हैं।
मां बाप पहले व्यवसाय के खिलाफ
थे: अपने परिवार में प्रियंक पहला शख्स है, जो व्यवसाय कर रहा है। घर के तीनों सदस्य सरकारी नौकरी पर हैं और वे बिजनेस के पक्षधर नहीं हैं। फिर भी उसने हार नहीं मानी और अपने उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ता गया। आज वह अच्छा खासा कमाने लगा है और भविष्य में चाय की नुक्कड़ को और विस्तार करने की योजना बना रहा है।
कुछ खास चाय की वेराइटी
- मसाला चाय-13 प्रकार की जड़ें मिलाई जाती हैं।
- बासुंदी -खोवे से बनती है
- हैदराबाद की ईरानी चाय-गाढ़े दूध से बनती है
- चॉकलेट टी
- सोंठ केशर चाय
- कश्मीर कहवा बादाम पिस्ता से
- रोमांटिक टी-मिल्क, स्नेक्स, गुलाब फूल के साथ रोमांच पैदा करता है।
Source: http://goo.gl/tJvTWh
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