भारत ने इतिहास बदल दिया। साउथ अफ्रीका के खिलाफ वर्ल्ड कप में तीन हार के बाद चौथे मैच में जीत दर्ज की। शिखर धवन (137), अजिंक्य रहाणे (79), विराट कोहली, आर. अश्विन (3 विकेट) ने प्रमुख भूमिका निभाई। इनके अलावा मोहित शर्मा (2 विकेट), मोहम्मद शमी (2 विकेट) और रवींद्र जडेजा (एक) ने एकबार फिर टीम गेम को साबित किया। भारतीय फील्डर्स भी अपनी चुस्ती फुर्ती से सभी को प्रभावित किया। यह वही टीम है, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सीरीज में 2-0 से हराया था, जबकि ट्राई सीरीज में वह तीसरे स्थान पर रही थी।
इस जीत के साथ भारत ग्रुप-बी में टॉप पर पहुंच गई है। भारत ने पहले मुकाबले में पाकिस्तान को 76 रनों से हराया था। अब दूसरे मुकाबले में साउथ अफ्रीका को 130 रनों से हराया। मुकाबले से पहले क्रिकेट पंडित साउथ अफ्रीका को विजयी बता रहे थे, लेकिन धोनी के धुरंधरों ने सबकी राय बदल दी। भारत ने साबित किया कि अब भी वह चैम्पियन है। Dainikbhaskar.com आपको मैच में भारत की जीत के कुछ चुनिंदा कारण बता रहा है।
1. डेल स्टेन की खराब गेंदबाजी
भारत की जीत का सबसे अहम कारण साउथ अफ्रीका के प्रमुख गेंदबाज डेल स्टेन का इस मैच में नहीं चल पाना रहा। स्टेन ने 10 ओवर में 55 रन दिए और सिर्फ 1 विकेट हासिल किया। इससे पता चलता है कि स्टेन भारतीय बल्लेबाजों पर दबाव बनाने में विफल रहे। भारतीय पारी की शुरुआत में अगर रोहित शर्मा का विकेट गिरा भी तो इसकी वजह बल्लेबाजों के बीच आपसी समझबूझ में कमी थी। इसका श्रेय विरोधी टीम को नहीं दिया जा सकता। शिखर धवन धवन के 7वें शतक (137) और रहाणे (79) की बदौलत भारत ने 307 रनों का स्कोर खड़ा किया।
2. शिखर धवन-रहाणे-विराट की पारी
मैच में भारत 307 रनों की चुनौती पेश कर पाया तो इसका श्रेय शिखर धवन और अजिंक्य रहाणे की शानदार पारी को जाता है। शिखर ने 137 रन बनाए, जबकि रहाणे ने 79 रन। शिखर ने कुल 146 गेंदों में 137 रन बनाए। वह वर्ल्ड कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने वाले बैट्समैन भी बन गए। उन्होंने न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग के नाबाद 134 रन की पारी को पीछे छोड़ा। पाकिस्तान के खिलाफ शानदार शतक लगाने वाले विराट ने इस मैच में 46 रनों की पारी खेली। शिखर धवन और विराट के बीच दूसरे विकेट के लिए 127 रनों की साझेदारी हुई। इसके बाद शिखर धवन और अजिंक्य रहाणे के बीच 125 रनों की साझेदारी हुई। इस दौरान शिखर धवन ने कई कीर्तिमान भी बनाए। वे मेलबर्न क्रिकेट ग्राउड पर सेन्चुरी बनाने वाले तीसरे भारतीय भी बने।
3. धोनी की रणनीति
टीम इंडिया के कप्तान एमएस धोनी की रणनीति भी इस मैच में कारगर रही। वर्ल्ड कप में टॉस जीतना धोनी के लिए लकी साबित हो रहा है। पाकिस्तान के बाद इस मैच में भी धोन ने टॉस जीता। धोनी ने पहले बैटिंग करने का फैसला लिया। दरअसल, धोनी को अपनी बैटिंग ब्रिगेड पर पूरा भरोसा था। धोनी यह अच्छी तरह जानते थे कि विरोधी टीम की बॉलिंग लाइन-अप बहुत मजबूत है, जिससे बाद में बैटिंग करने पर मुश्किल हो सकती है। इसके बजाय उन्होंने पहले बैटिंग कर साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजी को दबाव में डालने का निर्णय किया, जो सफल भी रहा। मेलबर्न ग्राउंड पर अब तक अधिकतम 297 रनों को चेज करने का रिकॉर्ड था, धोनी की रणनीति ने इस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।
4. भारतीय टीम की बेस्ट फील्डिंग
टीम इंडिया ने इस मैच में फील्डिंग के क्षेत्र में भी जोरदार प्रदर्शन किया। विरोधी टीम के विस्फोटक बल्लेबाज एबी डिविलियर्स (30 रन) का रन आउट होना मैच का टर्निंग प्वाइंट रहा। डिविलियर्स से उनकी टीम को एक बड़ी पारी की उम्मीद थी, लेकिन वे विफल रहे। डी विलियर्स के नाम वन-डे में सिर्फ 36 गेंदों पर सबसे तेज सेन्चुरी लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है। डिविलियर्स के अलावा साउथ अफ्रीकी टीम के डेविड मिलर भी रन आउट हुए। वर्ल्ड कप में इस टीम के खिलाफ पहली जीत दर्ज करने में इंडिया सफल रही तो इसमें उसके बेहतर क्षेत्ररक्षण का भी प्रमुख योगदान है। हाशिम अमला का विकेट भी टीम इंडिया के लिए बहुत जरूरी था, क्योंकि वह टीम को अच्छी शुरूआत देने में माहिर है, लेकिन वह भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। वह दो बार रन आउट होते-होते बचे।
5. साउथ अफ्रीका ने दिया मौका
साउथ अफ्रीका टीम ग्रुप-बी के इस अहम मैच के दौरान इंडिया से हर क्षेत्र में पीछे नजर आई। साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी अपने बेहतरीन क्षेत्ररक्षण के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस मैच में उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को कई मौके प्रदान किए। शिखर धवन को दो बार जीवनदान मिला, लिहाजा शिखर ने सेन्चुरी बना डाली। यही नहीं, विराट कोहली को भी एक बार रन आउट नहीं कर पाए। अधिकतर बैट्समैन हड़बड़ी में नजर आए। कप्तान डिविलियर्स को ही लिया जा सकता है। रन नहीं होने के बावजूद वे दौड़ पड़े, नतीजा रन आउट निकला।
Source: http://goo.gl/1yYeka
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