पति-पत्नी के बीच आमतौर पर झगड़े हो जाते हैं. ऐसे में अकसर यह देखा जाता है कि ऐसे में या तो उनमें से कोई वहां से हट जाता है या फिर चुप्पी साधकरबैठ जाता है और भावनात्मक होकर यह सोचने लगता है कि दूसरा अपने आप ही उसके मन की बात समझ लेगा. शोधकर्ताओं के मुताबिक, दोनों ही तरह का बर्ताव सही नहीं है.
दोनों ही तरह के व्यवहार से रिश्तों में और ज्यादा दरार पड़ती है. बेलर विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में मनोविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान के सहायक प्रोफेसर कीथ सैनफोर्ड ने कहा, 'संबंध टूटने में इन दो तरीके के विमुख होने के व्यवहार प्रमुख भूमिका निभाते हैं.' मतभेद या झगड़ा होने पर सामने से हटकर चले जाना दांपत्य संबंध को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है. सैनफोर्ड ने बताया, 'जब लोगों को लगता है कि उन पर निशाना साधा जा रहा है, तो लोग बचने की नीति के तहत वहां से हट जाते हैं. लेकिन घटनास्थल से हट जाने से संबंधों में असंतोष भी उसी के अनुरूप बढ़ता जाता है.'
इसी तरह कई लोग मनमुटाव या झगड़े के दौरान चुप्पी साध लेते हैं और समझते हैं कि उसका पति या उसकी पत्नी उसके मन की बात समझ लेंगे. लेकिन हकीकत है कि इससे दरकते रिश्ते को पटरी पर लाने की उनकी क्षमता घट जाती है. शोधकर्ताओं ने इस संबंध में तीन अध्ययन किए, जो अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के शोध पत्र 'साइकोलॉजिकल एसेसमेंट' में प्रकाशित हुआ है.
अध्ययन-परिणामों के मुताबिक, अधिकतर लोग ऊबने पर या उदासीन होने पर साथी के पास से हटकर चले जाते हैं. जिन लोगों ने साथी से मन की बात जान लेने की उम्मीद की वे उपेक्षित महसूस करते थे. शोध में बताया गया, 'आप चिंतित होते हैं कि आपका साथी आपसे कितना प्यार करता है और इस बात का संबंध उपेक्षित होने से है. आप दुखी और असुरक्षित महसूस करते हैं.'
Source: http://goo.gl/0W1Gcr
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